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विष्णु देव साय, माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ का गणतंत्र दिवस संदेश

News Desk by News Desk
January 27, 2025
in छत्तीसगढ़, राज्य
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विष्णु देव साय, माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ का गणतंत्र दिवस संदेश

प्यारे प्रदेशवासियों,
76 वें गणतंत्र दिवस की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं।

आज का दिन हम सबके लिए अत्यंत गौरवशाली है। आज हम देश के गणतंत्र का उत्सव मना रहे हैं। इसके पीछे उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का बलिदान है, जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाई, उन संविधान निर्माताओं का योगदान है, जिन्होंने इस संविधान के माध्यम से भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया। उन विभूतियों का योगदान है, जो संविधान की रक्षा के लिए हमेशा डटे रहे तथा संविधान के मूल्यों पर चलकर अंत्योदय का कल्याण करते रहे। नक्सलवाद से लड़ते हुए देश की एकता और अखण्डता के लिए अनेक जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, ताकि हम सुरक्षित रह सकें  और समाज में शांति स्थापित हो सके। इन जवानों की शहादत को मैं शत्-शत् नमन करता हूं।  

भारत की आजादी की यात्रा के साथ ही दुनिया के अनेक देशों ने भी अपनी स्वतंत्रता की यात्रा प्रारंभ की, लेकिन इनमें से कई देशों में शासन व्यवस्था पटरी से उतर गई और वहां की जनता आज अराजकता का सामना करने मजबूर है। गणतांत्रिक परंपराओं की अपनी ऐतिहासिक जड़ों और अपने श्रेष्ठ संविधान के बूते लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत अविचल खड़ा ही नहीं है अपितु निरंतर तरक्की के नये शिखरों को छू रहा है।

भारत का संविधान एक पवित्र दस्तावेज है। यह वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से प्रेरित है। इसे एक ऐसे राष्ट्र के नागरिकों ने तैयार किया, जिनकी भावनाओं के मूल में विश्व बंधुत्व और मानव कल्याण की सोच है। हमारी आजादी की लड़ाई की सोच हमारे संविधान में पूरी तरह से झलकती है। बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में जब हमारे छत्तीसगढ़ से संविधान निर्मात्री समिति के सदस्य संविधान तैयार कर रहे थे, तब निश्चय ही उनके सामने बाबा गुरु घासीदास जी के समतामूलक संदेश,  शहीद वीरनारायण सिंह जी के संघर्ष की गाथा और पंडित सुंदरलाल शर्मा जी का छूआछूत विरोधी संघर्ष जैसे आदर्श रहे होंगे। इन सभी के विचारों को बाबा साहेब ने अंतिम ड्राफ्ट के रूप में बहुत सुंदरता से पिरोया था।

इस गणतंत्र की धरोहर को सुरक्षित रखने और सहेजने-संवारने की जिम्मेदारी हमारी और भावी पीढ़ी के हाथों में है। हमारा गणतंत्र हमें सत्यमेव जयते की सीख देता है। मुंडकोपनिषद का यह सूत्र वाक्य हमें बताता है कि अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो, हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। अंततः विजय सत्य की ही होती है। हमारे गणतंत्र की इस भावना की विजय हमने गंभीर नक्सलग्रस्त इलाकों में देखी है।
इन इलाकों में माओवाद ने अपनी हिंसक विचारधारा से न केवल आम आदमी के जीवन को नरक बना दिया था अपितु भारत के गणतंत्र को चुनौती देने के लिए गनतंत्र खड़े करने की योजना बनाकर काम कर रहे थे। हमारे सुरक्षा बलों का इनसे लगातार संघर्ष चल रहा है। यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में नई रणनीति बनाकर हमने माओवाद के कैंसर को नष्ट करने का काम किया है । इस कैंसर को नष्ट करने के लिए जरूरी था कि इसकी जड़ों पर प्रहार किया जाए। हमारे जवानों ने माओवादियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाहों में हमला किया। इसके नतीजे बहुत अच्छे रहे। एक साल के भीतर ही हमने माओवादी कैडर

के 260 से अधिक आतंकियों को मार गिराया। अंधेरी सुरंग खुल गई, जो रौशनी फूटी है उससे बस्तर में विकास का उजाला फैला है।
जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी पिछले महीने छत्तीसगढ़ आये तो बस्तर की इसी धरती में ग्राम गुंडम की एक बुजुर्ग माँ उनके पास आई, माता जी ने उन्हें वनोपजों की टोकरी भेंट की और कहा कि माओवाद को पूरी तरह से नष्ट कर दीजिए। जब सरकार का इरादा, जवानों का हौसला और जनता का संकल्प मिल जाता है, तो कोई भी हिंसक विचारधारा नहीं टिक सकती। बस्तर में माओवाद अब अंतिम सांसे गिन रहा है। शीघ्र ही बस्तर पूरी तरह से नक्सल आतंक से मुक्त हो जाएगा।

आतंक से मुक्ति के साथ ही बस्तर में नक्सल प्रभावित रहे क्षेत्रों में विकास की राह भी खुल गई है। इसका माध्यम हमारी सरकार द्वारा चलाई जा रही नियद नेल्ला नार योजना बनी है। अरसे बाद स्कूलों में घंटियां गूंजी, पानी-बिजली का पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित हुआ। आधार कार्ड बने और आयुष्मान कार्ड भी बन गये। बस्तर अब उमंग से भरा हुआ है। हमने यहां बस्तर ओलंपिक का आयोजन किया। पूरे बस्तर से 1 लाख 65 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें नक्सल हिंसा से प्रभावित परिजन भी थे। आत्मसमर्पित नक्सली भी थे और नक्सल हिंसा में अपने अंग गंवा चुके दिव्यांगजन भी थे। खेलों के इस महाकुंभ में खिलाड़ियों का उत्साह देखते ही बन रहा था, हम सबके लिए यह बहुत भावुक क्षण था, बस्तर ओलंपिक नये बस्तर की पहचान बन गया।

     किसान परिवार से आने वाले लोगों ने खेती का वो वक्त भी देखा है जब कड़ी मेहनत से धान उपजाने के बाद मंडियों में किसान भाई धान लेकर जाते थे, तो औने-पौने में धान बेचकर आना पड़ता था। बहुत मुश्किल से परिवार चलता था। खरीफ के बाद उनके पास दूसरे राज्यों में जाकर मजदूरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता था। श्रद्धेय अटल जी ने छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया, तो धान खरीदी की व्यवस्था भी आरंभ हुई। धान के कटोरे में कोई भी भूखा न सोये, इसके लिए मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना भी आरंभ हुई। यह काम इतने व्यवस्थित तरीके से हुआ कि छत्तीसगढ़ देश में खाद्य सुरक्षा का माडल राज्य बन गया।

मुझे याद आता है कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद शुरूआती दौर में धान खरीदी लगभग 4.63 लाख मीट्रिक टन के आसपास हुई। पिछली बार यह आंकड़ा 145 लाख मीट्रिक टन को छू गया। यह इसलिए हुआ कि हमारी सरकार किसान भाइयों को धान का सबसे अच्छा मूल्य दे रही है। हमने किसान भाइयों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल तथा 21 क्विंटल प्रति एकड़ में धान खरीदा। किसानों से किये वायदे के अनुरूप हमने 13 लाख किसानों को दो साल का बकाया बोनस भी दिया। इन सबके चलते पिछले सत्र में हमने किसान भाइयों के खाते में 49 हजार करोड़ रुपए अंतरित किये। लगभग ढाई माह से राज्य में तेजी से धान खरीदी चल रही है। किसानों के खाते में हम लगातार समर्थन मूल्य की राशि दे रहे हैं। प्रति क्विंटल अंतर की राशि 800 रुपए हमारी सरकार के द्वारा आदान सहायता के रूप में एकमुश्त फरवरी माह में किसान भाइयों के खाते में भेजने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही प्रदेश में भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए हमने दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर कल्याण योजना का शुभारंभ भी किया है। इसके अंतर्गत हम 5 लाख 62 हजार भूमिहीन कृषकों को 10 हजार रुपए सालाना प्रदान कर रहे हैं।  यह शुभ संकल्पों और अच्छी नीयत का प्रतिफल है। छत्तीसगढ़ के किसान आज बेहद खुशहाल हैं। पलायन रूका है और किसान, खेती में निवेश कर रहे हैं क्योंकि उन्हें खेती से अच्छी आय मिल रही है।

डबल इंजन की सरकार किसानों को फसल का उचित मूल्य दिलाने के साथ ही खेती को हाइटेक करने का कार्य भी कर रही है। अब खेतों में कीटनाशकों का छिड़काव ड्रोन दीदी के हाथों हो रहा है। घंटों का काम ड्रोन दीदी का ड्रोन मिनटों में कर देता है। आपने इधर के वर्षों में देखा होगा कि जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है। कभी मानसून विलंब से आता है, तो कभी असमय बारिश हो जाती है। इस बड़े संकट से निपटने के लिए पुख्ता तैयारी भी हमने की है। हमने ऐसे बीज तैयार किये हैं, जो क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने में सक्षम हैं। एफपीओ के माध्यम से किसानों के लिए नए उद्यम के रास्ते हमने खोल दिये हैं।

हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी हमेशा कहते हैं, कि हमें किसानों की आय दोगुनी करनी है, तो पशुपालन को बढ़ावा देना होगा। हम सबने सहकारिता में अमूल का प्रयोग देखा है। भारत ने एनडीडीबी अर्थात नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के माध्यम से अमूल के रूप में श्वेत क्रांति की। छत्तीसगढ़ में भी श्वेत क्रांति की राह हमने खोल दी है। बीते महीने हमने एनडीडीबी के साथ एमओयू किया है।
इस एमओयू के माध्यम से छत्तीसगढ़ दुग्ध महासंघ से जुड़ी समितियों को तकनीकी जानकारी एवं प्रशिक्षण दिया जाएगा। अभी प्रदेश में दुग्ध उत्पादन के लिए 621 सहकारी समितियां काम कर रही हैं। अब 3200 नई सहकारी समितियां बनेंगी। इस एमओयू के पश्चात, सवा लाख से अधिक किसान दूध उत्पादक समितियों से तो जुड़ेंगे ही, इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि हमारे बच्चों के भोजन में, दूध के रूप में प्रोटीन अधिक मात्रा में शामिल होगा। हमारी सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के आदर्शों के अनुरूप नागरिकों की आजीविका बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

हमारी धरती रत्नगर्भा है। खनिज संपदा के मामले में छत्तीसगढ़ अतुलनीय है। कोयले और लोहे के उत्पादन में हम देश में दूसरे स्थान पर हैं। देश के बाक्साइट भंडार का 20 फीसदी हमारे यहां है। सारी दुनिया इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अपना रही है और भारत भी इसमें पीछे नहीं है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी के लिए लीथियम की जरूरत होती है और इसके भंडार हमारे कोरबा, सुकमा और बस्तर जिले में है।
इन खनिज संसाधनों का दोहन राज्य के आर्थिक विकास के लिए हो, इस जरूरत को पूरा करने हमारी सरकार ने ऐतिहासिक काम किया है। आज छत्तीसगढ़ में कहीं भी चले जाइये, शानदार चौड़ी सड़कें, फ्लाईओवर से आपका स्वागत होगा। रांची, हैदराबाद और विशाखापट्नम जैसे शहरों से छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाले एक्सप्रेस-वे का काम पूरा हो जाएगा तो यह कनेक्टिविटी अभूतपूर्व स्तर तक पहुंच जाएगी। केंद्र सरकार ने हमारे राज्य में सड़क अधोसंरचना को बेहतर करने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए के कार्यों की घोषणा भी की है। बिजली उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ सरप्लस स्टेट है। ये सारी बातें छत्तीसगढ़ में निवेश की संभावनाओं को बेहद आकर्षक बनाती हैं।
इतने बेहतर वातावरण में यदि निवेश के इच्छुक उद्यमियों को अनुदान सहित अनेक सुविधाएं मिले, तो उनके लिए यह सोने पर सुहागा है। हमारी नई उद्योग नीति ने यही कार्य किया है। इज आफ डूइंग बिजनेस अंतर्गत जरूरी सुधार किये गये हैं। सिंगल विंडो 2.0 से एनओसी की दिक्कत बिल्कुल दूर हो गई है। हमारा फोकस यह है, कि स्थानीय लोगों को अधिकतम संख्या में रोजगार मिल सके। एक हजार से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार देने वाले उद्यमों के लिए हम विशेष अनुदान दे रहे हैं।

नई औद्योगिक नीति में हमने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि ऐसे उद्योगों को प्रोत्साहन दें, जिनके लिए छत्तीसगढ़ की विशिष्टताओं के अनुरूप आगे बढ़ने की भरपूर संभावनाएं हों। क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से निपटने के लिए मोदी जी ने वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है। इससे कार्बन उत्सर्जन कम करने वाली टेक्नालाजी अर्थात ग्रीन उद्यमों के लिए बड़ी संभावनाएं बनी हैं। नई उद्योग नीति में हमने इसके लिए निवेश प्रोत्साहन पैकेज रखा है। छत्तीसगढ़ में उद्यमी अब ग्रीन स्टील की ओर फोकस कर रहे हैं। नई उद्योग नीति से इसके लिए बेहतर वातावरण बन रहा है। इस बात का अनुमान है, कि अगले पांच वर्षों में प्रदेश में ढाई लाख करोड़ रुपए का निवेश होगा और इसके चलते पांच लाख नये रोजगार सृजित होंगे। हम अटल नगर, नवा रायपुर को आईटी हब के रूप में तैयार कर रहे हैं और तेजी से आईटी कंपनियां यहां निवेश के लिए सामने आ रही हैं। यहां पर हम 14 एकड़ में एआई डाटा सेंटर भी बना रहे हैं, इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल सकेगा। राज्य के युवाओं को वित्तीय बाजारों के लिए प्रशिक्षित करने और इसके माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाने शासन द्वारा नेशनल स्टाक एक्सचेंज के साथ छात्र स्किलिंग प्रोग्राम के लिए एमओयू करने का निर्णय लिया गया है। यह प्रशिक्षण हाईस्कूल, हायर सेकेंडरी और कालेज के विद्यार्थियों के लिए संचालित किया जाएगा।

नई उद्योग नीति में हमने छत्तीसगढ़ की पर्यटन संभावनाओं का भी पूरा ध्यान रखा है। हमारे यहां एशिया का नियाग्रा कहा जाने वाला चित्रकोट जलप्रपात है। कांगेर घाटी में कोटमसर जैसी विलक्षण गुफाएं हैं। यहां धुड़मारास को संयुक्त राष्ट्र पर्यटन संगठन ने बेस्ट टूरिज्म विलेज के रूप में चुना है। सरगुजा में रामगढ़ की पहाड़ियां हैं, जहां के विलक्षण प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत होकर महाकवि कालिदास के मन में अपने महान खंडकाव्य मेघदूतं को लिखने का विचार आया। जशपुर में विश्व के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग मधेश्वर महादेव हैं। देश के पर्यटन नक्शे में गुरु घासीदास तमोरपिंगला टाइगर रिजर्व भी आ गया है। हमारी सरकार ने देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बनाकर न केवल बाघों के संरक्षण के लिए कार्य किया है अपितु इससे इको टूरिज्म की संभावनाओं में भी कई गुना वृद्धि कर दी है।
अपनी प्राकृतिक संपदा को न केवल हम सहेजे हुए हैं अपितु उसका निरंतर संवर्धन भी कर रहे हैं। वन पारिस्थितिकी सेवा को हमने ग्रीन जीडीपी के साथ जोड़ने की पहल की है। अभी हाल ही में भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट आई है, इसमें बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में 684 वर्ग किलोमीटर संयुक्त वन एवं वृक्ष आवरण की वृद्धि हुई है जो देश में सबसे ज्यादा रही है।

हमारे प्रदेश की जनजातीय संस्कृति भी विलक्षण है। यहां पर्यटन की अधोसंरचना उपलब्ध कराने हमने होम-स्टे की सुविधा देने वाले उद्यमियों को विशेष अनुदान देने का निर्णय लिया है। कुछ महीनों पहले अंबिकापुर में माँ महामाया एयरपोर्ट का शुभारंभ किया गया। जगदलपुर और अंबिकापुर एयरपोर्ट अब विमानन मानचित्र में आ गये हैं। एयर कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध होने से पर्यटक भी बड़ी संख्या में यहां आकर्षित होंगे। रायपुर-बिलासपुर-अंबिकापुर विमान सेवा आरंभ होने से स्थानीय पर्यटकों को भी काफी सुविधा मिल रही है। पर्यटन अधोसंरचना का सीधा लाभ, स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ने के रूप में होगा।

भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से है। पीएससी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार की जांच का कार्य हमने सीबीआई को सौंपा है और सीबीआई इस मामले में पुख्ता कार्रवाई कर रही है। हमने पीएससी परीक्षा में पारदर्शिता लाने इसे यूपीएससी की तर्ज पर आयोजित करने का निर्णय लिया है। सरकार द्वारा उठाये गये कदमों से युवाओं का भरोसा पीएससी की परीक्षा में लौट आया है। हमने यूपीएससी की परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिल्ली में ट्राइबल यूथ हास्टल में सीटों की संख्या 50 से बढ़ाकर 185 कर दी है। हम रायपुर के नालंदा परिसर की तर्ज पर प्रदेश के 13 अन्य नगरीय निकायों में ऐसी ही लाइब्रेरी बनवा रहे हैं। शासकीय सेवा के 9 हजार से अधिक पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया चल रही है।

हमारी सरकार ने एक साल पूरे कर लिये हैं। इस अवधि में हमने अपने अधिकांश वायदों को पूरा कर दिया है। कैबिनेट की पहली ही बैठक में हमने 18 लाख प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति दी। इन पर तेजी से काम हो रहा है। अपना घर जीवन का सबसे बड़ा सपना होता है। राज्य के लिए नये वित्तीय वर्ष हेतु तीन लाख अतिरिक्त पीएम आवास की स्वीकृति भी मिली है, इसके लिए मार्च तक सर्वे हो जाएगा। अब उन लोगों को भी पीएम आवास मिल सकेगा, जिसके पास टू व्हीलर है। उनको भी मकान मिल सकेगा, जिसने पास ढाई एकड़ तक सिंचित जमीन और पांच एकड़ तक असिंचित जमीन है। उनको भी मकान मिल सकेगा, जिनकी आय 15 हजार रूपए महीना तक है। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना 2.0 के अंतर्गत 1 लाख 32 हजार हितग्राहियों को लाभान्वित करने राज्यांश का भी हमने अनुमोदन कर दिया है।
 हमें इस बात का संतोष है कि हम लाखों लोगों के गृह प्रवेश का माध्यम बन सके हैं। हमारी सरकार ने जरूरतमंद 68 लाख परिवारों को पांच साल तक मुफ्त राशन देने का निर्णय भी लिया है। तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए संग्रहण दर 4 हजार रुपए से बढ़ाकर हमने साढ़े 5 हजार रुपए कर दिया है।

छत्तीसगढ़ महतारी को संवारने में, बड़ी भूमिका हमारी मातृशक्ति की है। वे हर दिन कड़ी मेहनत कर, विकसित छत्तीसगढ़ की नींव रख रही हैं। उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करना हमारा संकल्प है। इसके लिए हमने सरकार गठन के तीन महीने के भीतर ही महतारी वंदन योजना का क्रियान्वयन आरंभ कर दिया। करीब 70 लाख माताओं-बहनों को अब तक हम इस योजना की ग्यारह किश्त दे चुके हैं। हर माह की पहली तारीख को हम महतारी वंदन योजना के रूप में माताओं-बहनों के लिए खुशियों का रिचार्ज कर देते हैं। यह राशि उनके बजट को व्यवस्थित करने में, अपने सपनों को पूरा करने में मदद करती है। यह महिलाओं की अपनी निधि है, वे इसे अपनी इच्छा से खर्च कर रही हैं। कोई बहन इसे बच्चों की पढ़ाई में लगा रही है, कोई निवेश कर रही है। कोई मां अपनी हवाई यात्रा का सपना पूरा कर रही है। सारंगढ़ के ग्राम दानसरा की माताएं-बहनें अयोध्या धाम में श्रीरामलला का मंदिर बनने से अभिभूत थीं। वे श्रीराम का मंदिर अपने गांव में बनाना चाहती थीं। सभी महिलाएं एकजुट हुईं। महतारी वंदन योजना से मिलने वाली राशि और चंदा इकट्ठा करके प्रभु श्रीराम का मंदिर बनवा रही हैं। हम महिला स्व-सहायता समूहों को रेडी-टू-ईट फूड का काम सौंप रहे हैं। पहले चरण में पांच जिलों से इस काम की शुरूआत करेंगे।

प्राचीन काल में हमारा देश विश्वगुरु था। इसका कारण, हमारी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली थी। यह प्रणाली ज्ञान-विज्ञान के साथ ही सांस्कृतिक मूल्यों की भी शिक्षा विद्यार्थियों को देती थी। अंग्रेज जब भारत आये, तो उन्होंने महसूस किया कि भारत में राज करने के लिए बहुत जरूरी है, कि भारतीयों में हीनता की भावना भर दी जाए। उन्होंने प्राचीन पद्धति समाप्त कर, मैकाले द्वारा लाई गई अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली लागू की। इसके चलते हमारे मनीषियों द्वारा लिखे श्रेष्ठ ग्रंथों की स्मृति भी जनमानस में धुंधली होती गई।

मोदी जी ने आधुनिक ज्ञान-विज्ञान के साथ ही हमारी सांस्कृतिक उपलब्धियों और गौरवशाली परंपरा को शामिल करने वाली नई शिक्षा प्रणाली हमें दी है। छत्तीसगढ़ में हमने इसे लागू किया है। हम 18 स्थानीय भाषाओं में बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। 341 पीएमविद्यालय हमने आरंभ किये हैं। हम बच्चों को एआई और रोबोटिक्स की शिक्षा भी दे रहे हैं। हम यह मानते हैं, कि बच्चों की शिक्षा को बेहतर दिशा देने में जितनी जिम्मेदारी शिक्षकों की है, उतनी ही अभिभावकों की भी है। इसके लिए हमने पैरेण्ट्स-टीचर मीटिंग का एजेंडा भी व्यवस्थित किया है। अपने जन्मदिन को स्कूलों में बच्चों के साथ न्योता भोज के रूप में भी मनाने की परंपरा हमने आरंभ की है। पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा समाप्त होने के चलते बच्चों का शैक्षणिक स्तर गिरा था। इसे दुरुस्त करने, हमने पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं पुनः आरंभ करने का निर्णय लिया  है।

हमारी भारतीय परंपरा में आशीर्वाद देने पर लंबी आयु की कामना करते हुए आयुष्मान भवः कहा जाता है। लोगों की दीर्घायु और उनके अच्छे स्वास्थ्य से जुड़े सरोकार, हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना अंतर्गत प्रदेश के 77 लाख 20 हजार परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान की गई है। जो समाज अपने वरिष्ठ नागरिकों का सम्मान करता है, वही समाज फलता-फूलता भी है। मोदी जी ने आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना का दायरा बढ़ाते हुए इसमें 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को सम्मिलित किया है। इन्हें अब पांच लाख रुपए तक के इलाज का लाभ मिल रहा है।  
हमारा उद्देश्य छत्तीसगढ़ को मेडिकल हब बनाना है, ताकि न केवल हमारे सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में छत्तीसगढ़ के नागरिकों का इलाज हो सके अपितु छत्तीसगढ़ मेडिकल टूरिज्म के भी महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित हो। इसके लिए हमने अटल नगर नवा रायपुर में 200 एकड़ भूमि चिन्हांकित की है। यहां मेडिसिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत 5 हजार बेड वाला अत्याधुनिक अस्पताल बनेगा।  अटल नगर नवा रायपुर में हम 141 एकड़ भूमि पर फार्मास्युटिकल पार्क भी स्थापित कर रहे हैं। इससे अटल नगर नवा रायपुर, मध्य भारत का फार्मास्युटिकल हब के रूप में उभरेगा।

बिलासपुर में 200 करोड़ रुपए की लागत से सिम्स के विस्तार का कार्य शुरू कर दिया गया है। राजधानी रायपुर के अंबेडकर हास्पिटल में भी 700 बिस्तर अस्पताल के विस्तार के लिए हमने 231 करोड़ रुपए का टेंडर जारी कर दिया है। इसके पूरे होने के साथ ही अंबेडकर हास्पिटल में 2 हजार बेड की सुविधा हो जाएगी। प्रदेश में मेडिकल शिक्षा को विकसित करने के लिए चार नये मेडिकल कालेज जांजगीर-चांपा, कबीरधाम, मनेंद्रगढ़ और गीदम में भवनों के लिए 1020 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

आपको याद होगा कि पहले पीएमटी की परीक्षाओं में एक पेपर अंग्रेजी का होता था। हमारे ग्रामीण पृष्ठभूमि और हिंदी माध्यम के अनेक प्रतिभाशाली परीक्षार्थी कई बार इस वजह से भी पीएमटी क्लीयर नहीं कर पाते थे। बाद में इसे हटा दिया गया लेकिन आगे मेडिकल की पढ़ाई में अंग्रेजी की समस्या कायम रही। हमने मेडिकल छात्र-छात्राओं को हिंदी माध्यम से एमबीबीएस की पढ़ाई की सुविधा दी है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं की राह में अब कोई रूकावट शेष नहीं रही।

 हमारा प्रदेश इस वर्ष अपनी स्थापना की रजत जयंती मना रहा है। संयोग से यह वर्ष छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का  जन्म शताब्दी वर्ष भी है। इस अवसर को हम अटल निर्माण वर्ष के रूप में मना रहे हैं। श्रद्धेय अटल जी द्वारा दिखाये गये सुशासन के मूलमंत्र पर चलते हुए, हमने पारदर्शी, सजग और लोककल्याणकारी प्रशासनिक तंत्र तैयार किया है, जिसके बूते हम विकसित छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए कार्य कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ ने सुशासन एवं अभिसरण विभाग के रूप में सुशासन को कार्यान्वित करने देश में अनूठी पहल की है। छत्तीसगढ़ में लाल फीताशाही की रोकथाम के लिए हम ई-आफिस प्रणाली अपना रहे हैं। इसमें फाइलों का निपटारा आनलाइन होगा। तय समय-सीमा में अधिकारी को ई-फाइल पर अपनी टिप्पणी देनी होगी। इस प्रणाली के चलते समय-सीमा पर भ्रष्टाचार की आशंका के बगैर फाइलों का कुशलता से निपटारा हो सकेगा।

यह समय स्मार्ट फोन का है। हमने शासकीय सेवाओं की डिलीवरी को आसान करने के लिए मोबाइल फोन में नागरिक सुविधाओं से संबंधित बहुत से एप आरंभ किये हैं। मंत्रालय में किसी से मिलना हो, तो स्वागतम एप में एक क्लिक करें और समय लें, रजिस्ट्री करानी हो, तो सुगम एप में क्लिक करें और बसों का लोकेशन जानना हो, तो संगवारी एप देख लें। नागरिक सेवाओं की उपलब्धता डिजिटल गवर्नेंस के चलते काफी आसान हो गई है।

शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए हमने अटल मानिटरिंग पोर्टल आरंभ किया है। इससे न केवल महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन की जमीनी जानकारी मिलती है अपितु इसे बेहतर करने के लिए आवश्यक दिशा भी मिलती है। हमारी सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस पर न केवल भरोसा करती है अपितु  इसे क्रियान्वित भी करती है। खनिज में हमने मैनुअल पास को समाप्त कर आनलाइन ट्रांजिट पास आरंभ कर दिये हैं। शासकीय खरीदी में भ्रष्टाचार रोकने के लिए, हमने जेम पोर्टल को अनिवार्य कर दिया है। भारत सरकार, राज्यों को बेहतर काम के लिए इंसेटिव देती है। हमने जो सुधार छत्तीसगढ़ में किये, उसके चलते केंद्र सरकार ने इंसेटिव के रूप में राज्य को 4400 करोड़ रुपए दिये हैं, जिन्हें हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करेंगे।

अपने भांचा भगवान  श्रीराम के आशीर्वाद से यह सब शुभ कार्य हम कर पाए हैं। ननिहाल के लोगों को अपने भांजे का आशीर्वाद हमेशा मिलता रहे, भगवान श्रीराम का आदर्श जीवन, उनके भीतर शुभ संकल्पों के बीज बोता रहे, इसके लिए हमने पुण्य अयोध्या धाम के दर्शन के लिए श्रीरामलला अयोध्या धाम दर्शन योजना आरंभ की  है। अब तक 20 हजार से अधिक श्रद्धालु, इस योजना के माध्यम से रामलला के दर्शन कर चुके हैं।

हमारे प्रदेश की सांस्कृतिक संपदा समृद्ध है। जनजातीय संस्कृति की थाती संभालने वाले हमारे बैगा, गुनिया, सिरहा को हम लोग हर साल पांच-पांच हजार रुपए की सम्मान निधि दे रहे हैं। जनजातीय गांवों में अखरा निर्माण विकास योजना, हमने आरंभ की है। स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले हमारे जनजातीय सेनानियों और शहीदों की प्रतिमाएं, उनके गांवों में लगाने का निर्णय लिया है। राजिम कुंभ का सुंदर आयोजन हमने पुनः आरंभ कराया है। देश भर से साधु संतों का समागम राजिम के त्रिवेणी संगम पर हो रहा है। प्रयागराज में 144 वर्षों बाद महाकुंभ का सुखद संयोग बना है। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के श्रद्धालुओं को सुविधा देने हमने साढ़े 4 एकड़ में छत्तीसगढ़ पैवेलियन तैयार किया है। यहां प्रदेश के श्रद्धालुओं के ठहरने और खान-पान की सुविधा हमने उपलब्ध कराई है।

गांधी जी कहते थे कि भविष्य इस बात पर निर्भर करता है, कि हम वर्तमान में क्या करते हैं। मुझे इस बात की खुशी है, कि इस वर्ष जब हम छत्तीसगढ़ के स्थापना का रजत जयंती वर्ष मना रहे हैं तब हमने विकसित छत्तीसगढ़ की यात्रा का रोडमैप तैयार कर लिया है। वर्ष 2047 में जब आजादी के सौ वर्ष पूरे हो जाएंगे तब विकसित भारत के साथ ही विकसित छत्तीसगढ़ का भव्य स्वरूप हम सभी के सामने होगा। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हमने विजन डाक्यूमेंट तैयार किया है।

हमारी सरकार ऐसी सरकार है, जिसने एक साल पूरे होने पर प्रदेश की जनता के समक्ष अपने एक साल का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया है।
हमारे पास शुभ संकल्प है। सच्चाई है। ईमानदारी है और पुरखों की परंपरा से आई शक्ति है। हम आप सभी के सहयोग से आगे बढ़ेंगे और हर बाधा को पार कर एक उज्ज्वल सशक्त विकसित छत्तीसगढ़ के अपने सपने को मूर्त रूप देंगे। अथर्ववेद का मंत्र है कृतं मे दक्षिणे हस्ते जयो मे सव्य आहितः। कार्य का शुभ संकल्प मन में हो तो सफलता जरूर मिलती है।  
गणतंत्र पर्व की आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
जय भारत, जय छत्तीसगढ़

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